गोरखपुर विश्वविद्यालय में एंटी रैगिंग कमेटी और मॉनिटरिंग सेल का गठन

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने विद्यार्थियों की सुरक्षा और गरिमा को सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। कुलपति प्रो. पूनम टंडन के आदेश पर एंटी रैगिंग कमेटी, एंटी रैगिंग स्क्वाड, और रैगिंग मॉनिटरिंग सेल का गठन किया गया है। इस कदम को विश्वविद्यालय के गौरवमयी इतिहास और छात्रों की उन्नति की दिशा में एक ऐतिहासिक निर्णय माना जा रहा है।

समिति में शामिल महत्वपूर्ण सदस्य:

  • कुलपति प्रो. पूनम टंडन समिति की अध्यक्षता करेंगी।

  • अपर नगर मजिस्ट्रेट (प्रथम) प्रशांत वर्मा प्रशासनिक प्रतिनिधि के रूप में सदस्य होंगे।

  • पुलिस क्षेत्राधिकारी (कैन्ट) को पुलिस विभाग के प्रतिनिधि के रूप में शामिल किया गया है।

  • मीडिया प्रतिनिधि के रूप में डॉ. राकेश राय होंगे।

  • समाजसेवी और युवा चेतना समिति के संस्थापक मांधाता सिंह को गैर-सरकारी संगठन के प्रतिनिधि के रूप में स्थान दिया गया है।

मांधाता सिंह का योगदान

मांधाता सिंह, जो पिछले तीन दशकों से गोरखपुर और पूर्वांचल में युवाओं के लिए जागरूकता फैलाने, शिक्षा प्रसार, खेलों को बढ़ावा देने और सामाजिक मुद्दों पर काम करने के लिए प्रसिद्ध हैं, इस कमेटी में शामिल होने से विश्वविद्यालय को एक नया दिशा मिलेगी। उनकी समाजसेवा की यात्रा में महिला सशक्तिकरण, नशा मुक्ति अभियान और वृक्षारोपण जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं।

एंटी रैगिंग स्क्वाड और मॉनिटरिंग सेल

  • एंटी रैगिंग स्क्वाड की विशेष जिम्मेदारी होगी कि वह किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई करे। इसमें प्रो. विनय कुमार सिंह और सभी संकायाध्यक्ष सदस्य होंगे।

  • रैगिंग मॉनिटरिंग सेल में कुलपति, वरिष्ठतम संकायाध्यक्ष और कुलसचिव शामिल होंगे। यह सेल एंटी रैगिंग गतिविधियों की निरंतर समीक्षा करेगा और संबंधित महाविद्यालयों के साथ समन्वय बनाए रखेगा।

कुलपति का संदेश

कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय में रैगिंग जैसी असंवैधानिक गतिविधियों के खिलाफ शून्य सहनशीलता (Zero Tolerance) नीति अपनाई जाएगी। किसी भी दोषी छात्र के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।

यह कदम न केवल गोरखपुर विश्वविद्यालय बल्कि पूरे पूर्वांचल के छात्रों के लिए एक सकारात्मक संदेश है। मांधाता सिंह की नियुक्ति को छात्र समुदाय ने व्यापक स्वागत किया है, क्योंकि उनकी मौजूदगी से यह समिति अधिक पारदर्शी और जनोन्मुखी बनेगी।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के इस नए कदम से छात्रों की सुरक्षा और उनके भविष्य की दिशा को नई मजबूती मिलेगी। आने वाले दिनों में रैगिंग पर पूरी तरह से नियंत्रण पाया जा सकेगा। यह कदम छात्रों, अभिभावकों और समाज के बुद्धिजीवियों द्वारा सराहा गया है।

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